बीबी का मकबरा इतिहास | Bibi Ka Maqbara History in Hindi

बीबी का मकबरा को दक्कनी ताज या दक्कन का ताज भी कहते हैं। बीबी का मकबरा, औरंगाबाद शहर का प्रमुख स्मारक है। बीबी का मकबरा इतिहास या bibi ka maqbara history in hindi आदि के बारे में हम इस पोस्ट में आगे जानेंगे।

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भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर में दूसरा ताजमहल कहा जाने वाला बीबी का मकबरा स्थित है। बीबी का मकबरा को आजम शाह ने अपनी मां की याद में बनवाया था। शाह आलम औरंगजेब का बेटा था।

इस किले को देखने पर मुगल कालीन वास्तु कला का अनुभव होता है। मुगल काल के दौरान यह स्थान औरंगाबाद शहर के एकदम बीच में था। बीबी का मकबरा की खासियत मकबरे के बीच द्वार पर बनी हुई समाधि है।

इस मकबरे को उस समय के महान इंजीनियर उस्ताद अहमद लाहौरी के बेटे हंसपत राय (अत उल्लाह) ने डिजाइन किया था। उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही ताजमहल को डिजाइन किया था।

लोगों के द्वारा अनुमान यह लगाया जाता है कि बीबी के मकबरा का निर्माण 1657 से 1661 ईसवी के आसपास हुआ होगा। इस मकबरे का गुम्बद ताजमहल के गुम्बद के आकार में छोटा है। और इसमें कुछ तकनीकि कमियां भी हैं इसलिए इसे कभी भी ताजमहल के बराबर नहीं आंका गया है।

बीबी का मकबरा इतिहास (bibi ka maqbara history in hindi):-

दोस्तों जैसा कि आपने जाना कि bibi ka maqbara औरंगाबाद में है। जिस प्रकार शाहजहां ने मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था उसी प्रकार शाहजहां के पोते आजम शाह ने ताजमहल से प्रेरित होकर अपनी मां दिलरास बानो बेगम की याद में बीबी का मकबरा का निर्माण कराया था। दिलरस बानो बेगम को राबिया उद दौरानी के नाम से भी जाना जाता था। दिलरस बानो बेगम का विवाह 08 मई 1637 को औरंगजेब के साथ हुआ था तब औरंगजेब का नाम राजकुमार मुगल उद दीन था। अपने पांचवे पुत्र को जन्म देने के बाद दिलरस बानो बेगम प्रसव में होने वाली समस्या के कारण ज्वर अथवा बुखार से भीषण पीढ़ित हो गईं जिसके कारण लगभग 08 अक्टूबर 1657 को उनकी मृत्यु हो गई थी। दिलरस बानो बेगम की ही याद में उनके बेटे आजम शाह ने उनका मकबरा बनवाया जिसका नाम बीबी का मकबरा (bibi ka maqbara) पड़ा।

बीबी का मकबरा का निर्माण (bibi ka maqbara ka nirman):-

बताया जाता है कि उस समय बीबी का मकबरा बनने का कुल खर्चा 06 लाख 50 हजार रूपए से भी ज्यादा आया था। यह मकबरा (bibi ka maqbara) लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है। bibi ka maqbara में जो गुम्बद बनाया गया है वह पूरी तरह से संगमरमर से बनाया गया है। इतिहास में ऐसा बताया जाता है कि bibi ka maqbara के बनने में लगने वाले पत्थर जयपुर की खदानों से लाए गए थे। ऐसा भी बताया जाता है कि औरंगजेब का पुत्र आजम शाह बीबी का मकबरा, ताजमहल से भी अधिक सुंदर और भव्य बनाना चाहता था परंतु जो औरंगजेब ने धन दिया था उसमें यह करना मुश्किल था। बीबी का मकबरा में उसके गुम्बद को छोड़कर बाकी का बचा हुआ हिस्सा प्लास्टर से ही तैयार किया गया है। यह इसलिए किया है ताकि वह संगमरमर जैसा ही लगे।

बीबी का मकबरा की कुछ खास बातें (bibi ka maqbara ki kuch khas bate):-

bibi ka maqbara की कुछ खास बातें आगे बताई गई हैं।

  • बीबी का मकबरा औरंगजेब की पत्नी और आजम शाह की मां की याद में बना है।
  • बीबी का मकबरा में सुंदर झरने, तालाब, फव्वारे और बगीचे हैं।
  • इस मकबरे के बगीचे की दीवारों की ऊंचाई काफ़ी ज्यादा रखी गई है ताकि कोई बाहर का व्यक्ति अंदर न आ पाए।
  • बीबी का मकबरा के तीनों साइड ओपन पवेलियन है।

बीबी का मकबरा किसने बनवाया (who built bibi ka maqbara):-

अगर इतिहासकारों की बात मानी जाए तो bibi ka maqbara का निर्माण शाहजहां के पोते और बादशाह औरंगजेब के पुत्र आजम शाह ने करीब सन 1657 से 1661 ईस्वी के मध्य अपनी मां दिलरस बानो बेगम की याद में कराया था।

टिकट (ticket):-

bibi ka maqbara में घूमने के लिए ticket लगता है जिसका एक निर्धारित मूल्य है जिसकी जानकारी आगे दी गई है।

  • भारतीय नागरिकों के यहां पर घूमने का टिकट का मूल्य 10 रूपए रखा गया है।
  • जबकि विदेशी नागरिकों के यहां पर घूमने का मूल्य यहां पर 250 रूपए रखा गया है।

बीबी का मकबरा खुलने का समय (bibi ka maqbara khulne ka time):-

bibi ka maqbara सप्ताह के सभी दिन सुबह 08:00 बजे से रात 08:00 बजे तक खुला रहता है।

बीबी का मकबरा से निकटतम स्टेशंस (bibi ka maqbara se nikattam stations):-

हवाई अड्डा (air port):-

औरंगाबाद हवाई अड्डा, चिक्कलथाना, bibi ka maqbara से 11 किमी• दूर।

रेलवे स्टेशन (railway station):-

औरंगाबाद रेलवे स्टेशन, bibi ka maqbara से 06 किमी• दूर।

बस स्टैंड (bus stand):-

सेंट्रल बस स्टैंड, bibi ka maqbara से 3.4 किमी• दूर।

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रोहन सिन्हा hindiinsider.com पर एक लेखक है जो पिछले 1 साल से इस वेबसाइट पर कंटेंट लिख रहे है यह business,finance,biography etc के बारे में पिछले 5 साल से लिख रहे है

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